मेहबूबा
मेहबूबा
नजरे मिलाके नजरो से दुनिया भूल जाता हूँ
दुनिया कहे कुछ भी मै तुझसे प्यार करता हूँ
हसी तो गालो की गुलाम बनी है
बालोकी लटे मुखड़े को सजा रही है
अदा ओ की यहाँ तुम्हे तो फ़िक्र नहीं
कोई जिगर से जाए हमेशा की सजा है
अखियो का अल्लड पन गमो में उतार लिया
उदासी की सारे समंदर पी लिया
फुलसी नासिका और होटो के किनारे
मन ने हमारे किनारे मंदिर बना लीया
चाँद भी शर्माए उसका गम नहीं
तारे भी टिमटिमाये वैसे कम नहीं
नजरे लगी है अमृत की खोज में
यहाँ तो पूरा चेहरा ही अमृत बना है
दुपट्टा गले लगालिया हमें तो फ़ासी है
दिल खोल के रख दिया हमें तो बेहोशी है
प्यार की चाह भरी है मुखड़े पर
हमें तो गमके खाइमे ढ़केल दिया
ना मिले इस जनम में सनम
फिर भी गम ना करना
तेरे यादो का मंदिर बनाया मै ने
वहा मिलने जरूर आना
सिनेसे लगाकर रोना चाहता हु एक बार
क्या भूल हुई कहदो ना एक बार
उदासी भरी आखे ऐसी क्यों देखरही है
मैने क्या गुनाह किया बता डोना
तेरी याद में
किस मोड़ पे मिले थे हम ना जान सके
तड़पते थे एक दुसरेके लिए ना जान सके
तेरे दिल की पुकार सुन ली मैने
तेरे आसुओ का दर्द जानलिया मैने
कहा जा रहे थे
ना तूने सुलझाया ना पूरा रुलाया
लब्ज तुम्हारे हलकेसे आते
दिलको छुवा करते हो तुम
फूलो की तरह ना मेहेका ओ इतना
तितली बनाके छोडो तुम
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