परियों की रानी
परियों की रानी
जैसे स्वर्गसे उतरी परियों की रानी
या अप्सरा कोई इंद्र सभाकी
तू दिखती कितनी सुन्दर प्रिये
मोह लिया मेरे मन को सारे
मिलते नहीं कभी कभी हम
दिल जलते है मन में हरदम
परेशान ना करो तुम अब तो
हम हार गए अदाओ के फुलो को
चातक जैसी नज़रे निहारती
दिलमे मेरे है चुबती रहती
प्यार यदि रूठ गया दिलमे
प्यारकी प्यास बढ़ेगी मनमे
चन्द्रमुखी तू रुप सुंदरी
मेरी यादो में पगली भारी
नींद मुझे तो और सताए
सपनो में आकर और कुछ कहे
सेफ जैसी गुल की मुस्कान
चाफ़े कली नासिक समान
ओठोंकी पंखडियो की लाली
चूमती रहे पल पल गाली
आँखे निहारे मन के दिल में
मेरा जिया ना लागे तन में
ना मिले जिंदगी में हम कभी
दुनिया कैसी होगी तन्हाईकी
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