रूप गर्विता




रूप गर्विता 


 रूप गर्विता सजणी   तू अससी जरी स्वरूपिणी
नाक मुरडून चाफेकळी  वेडावून मजला निघून जा
जरा वळून तू पाहून जा ----------------------------१

उधळीत तू प्रीत गंधा         फुलांना लाजवीत जा
असो असू दे गांत हृदया     तू वेडावून निघून जा
जरा वळून तू पाहून जा ----------------------------२

खंत का हृदय फुलांना       फुल पाखरी चुंबना चा
नसो नसू दे प्रीत ओलावा   गीत तरी बरसुन जा
तू वळून तरी पाहून जा ----------------------------३

शिंपित चांदणे उरांत    चन्द्राविण काय बहार तो
असो नसू दे मोह परी   तू क्षणभरी थबकुन जा
हळूच वळून तरी पाहून जा -------------------------४

होऊनी देठ मी फुलांचा    सावरीन उरी पाकळ्या
शिंपून सडा  वाटेवरी तू पायी तुडवून निघून जा
नजर वळून तरी पाहून जा -------------------------५

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