गुमराह
यह एक नई दुनिया दमकी
बड़ी दर्द कदर प्यारे
देती है सहारा कभी कभी
बेसहारा जरूर करती है
उफ़ ना निकालना कभी मुहसे
फटकारती है कोड़े बरसाकर
तनिक दया नहीं है दिलमे
तनहा करदेती है दुनियासे
उभर आता है कभी कभी
प्यार का समुन्दर किनारोपर
आसरा नहीं मिलता
वस्रहरण जरूर होता है
साईं और कृष्ण के आड़ में
गम को सहारते मुहबतसे
बेसहारा दर्द को ऐसे पीटते है
गम के आसुभी गवारा होते है
बड़ी प्यारी है ये दुनिया
सबको मिला तो देती है
पर प्लसनशा के गम में
दिलसे छोड़ भी नहीं सकते
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