स्त्री हृदय



स्त्री हृदय

त्या दगडा तरी फुटतील पाझर
परी स्त्री हृदय त्याहुनी कणखर ---------------हे खरे
माया खरी ईश्वरीय नडली
नारी सवे प्रीती जोडली ----------------------हाय नरा
फट म्हणता फुटतील दगड ते
साकारती मनीचे रूप ते -------------------- धन्य तया
मनी मूर्ती जी स्मरणांत
पडसाद झिरपती शिल्पात -----------------धन्य तया
त्याठायी जन्मे वेचिली
अश्रूंची वाहिली लाखोली ------------------प्रेमाते
का डागण्या दुखः वर देती
हे शिल्पकार नाजूक कोरती ----------------रूप मूर्ती
ते दगड झुंजले झिन्जले
स्त्री रूप गाण्या परी बुजले ----------------------युगे न युगे
आळवूनी प्रीती आरती
परी नारी हृदय ना सोडती ---------------------धिक्क तया
हे इथे मानवा नाडले
बैरागी कैक बनविले -------------------------धन्य ईश्वरा
बोळवण  स्मरून केली
नारी रूपे बरी साधली -----------------------धन्य ईश्वरा
काय वर्णावी महती स्त्री हृदयाची
ना उकलती मन स्वसख्याशी ---------------स्व हृदया





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