मै प्यासा अकेला



मै प्यासा अकेला 

हिमालय की गोद में 
रहता एक फूल ऐसा 
महकता बहकता सदा 
हमें बेकरार कर जाता

खुशीके फूल समाये है 
तुम्हारे पास अकेले 
देखके तुमको हसते 
दुःख दर्द सब भाग जाते 

सूना सूना है  मेरा जहा 
किसने मुझसे क्या चुराया 
एक कली आई गुमशुम सी 
ना हसी ना बोली कुछ ऐसी 

प्रेम सागर था नयनोमे 
उदासी की किनार थी मनमे  
सुंदरता का मधुघट था ओ
प्यासा सागर था उसमे  

फुट रहा मन में रुन्दन 
रोक रहा था मै जबरन 
प्यास रो पड़ी मन में भारी 
मै न रोक सका आस गहरी 

क्या इस दुनियामे है कोई ऐसा 
जाने मेरा मन ये रहता कैसा 
प्यारी गुलछडी कहा छुप गयी 
मुझे ना पुकारे कहा रह गयी 

मै प्यासा अकेला 

Comments

Popular Posts