Pushp
pushp
फूल शर्माये ऐसी
आपकी हसी
नशा तितलीको
होए सुगंध की
बेहोश हो जाए ऐसी सूरत आपकी
मधु घुट की है चाहत रह आपकी
औष्टातील मधुरता
कमनीय हसता
दन्तपंक्ती विलगता
जैसी भासे विकलता
मन मोहिनी तुम सुन्दर ललना
विरही मम भासे तुज देखे बिना
मदधुंद बून्द
मकरंद आनद
प्रशून आकंठ
जैसे मधुकंद
मज अणु रेणु पुलकित भयी
तव सुन्दर काया मन भायी
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मुख कमल
ज़रा देख लियो जी मुखड़ेको अपने
जैसे कमल खिला है
हातो की उंगलिया क्या अलग फैली
जैसी पंखडिया बनी है
लाल गुलाबी गालो पर तो सांज खिली है
बीच में तो गुल खिले है
सेफ जैसे बन गए दोनों क्या खूब लगे है
उससे तो दिल रोग बढे है
चूमने को मन चाहे पर सवाल पड़े है
दिल में जोरसे तो प्यास बढ़ी है
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