आत्मानंद






आत्मानंद 

1) अंतर के अनंत अमृत में निरंतर केंद्रित रहना = आत्मानंद मे रहना 
2) अंतर प्रकाश = आत्म स्थिति ज्ञान होना 

जब तक आत्म स्थिति का ज्ञान नहीं होता 
तबतक आत्मस्थिति मे रममाण नहीं होंगे 
जबतक आत्म स्थिति में वास्तव्य नहीं करेंगे 
तबतक आत्म ज्ञान होकर भी समझ नहीं पाएंगे 

वास्तव में सब ब्रम्ह को परे  रखकर
चैतन्य को हृदय में बंद करके 
 खुद में खुद को डुबो लो 

यहाँ तो कोई नहीं होगा 
तुम खुद ही खुद में रममाण होंगे 
इसी उच्च मधुर स्थिति को आत्मानंद केहेते 
उसके पेहेले प्राणायाम के आवर्तन होते है 
यम नियम का पालन होता है 

मै ही विश्व हूँ , विश्व मै हूँ 
सब मुझमे है , मै सब में हूँ 
मै शरीर के परे हूँ 
मुझे शरीर का भास् भी नहीं है -- ( विदेही अवस्था )
मै आँख बंद करता हूँ तो भी सब दिखता है, 
पलको के अंदर और ज्यादा प्रकाश होता है 
सास भी लेनेकी जरुरत नहीं होती, 
मै मेरे आत्मानंद में मशगूल हूँ 
आत्मानंद से निचे उतारना नहीं चाहता कोई 
जीवन एक झूठा सपना है यह पता चल जाता है 
सत्य की दुनिया छोड़के असत्य में कोई वापसी  नहीं चाहता 
संसार सब झूट का पता हो जाता है 

मतलब आत्मानंद ( परमानंद ) की मिठास इतनी गहरी होती है   
(Gone there but not resided)

1) अंतर के अनंत अमृत में निरंतर केंद्रित रहना = आत्मानंद मे रहना 
2) अंतर प्रकाश = आत्म स्थिति ज्ञान होना 

जब तक आत्म स्थिति का ज्ञान नहीं होता 
तबतक आत्मस्थिति मे रममाण नहीं होंगे 
जबतक आत्म स्थिति में वास्तव्य नहीं करेंगे 
तबतक आत्म ज्ञान होकर भी समझ नहीं पाएंगे 

वास्तव में सब ब्रम्ह को परे  रखकर
चैतन्य को हृदय में बंद करके 
 खुद में खुद को डुबो लो 

यहाँ तो कोई नहीं होगा 
तुम खुद ही खुद में रममाण होंगे 
इसी उच्च मधुर स्थिति को आत्मानंद केहेते 
उसके पेहेले प्राणायाम के आवर्तन होते है 
यम नियम का पालन होता है 

मै ही विश्व हूँ , विश्व मै हूँ 
सब मुझमे है , मै सब में हूँ 
मै शरीर के परे हूँ 
मुझे शरीर का भास् भी नहीं है -- ( विदेही अवस्था )
मै आँख बंद करता हूँ तो भी सब दिखता है, 
पलको के अंदर और ज्यादा प्रकाश होता है 
सास भी लेनेकी जरुरत नहीं होती, 
मै मेरे आत्मानंद में मशगूल हूँ 
आत्मानंद से निचे उतारना नहीं चाहता कोई 
जीवन एक झूठा सपना है यह पता चल जाता है 
सत्य की दुनिया छोड़के असत्य में कोई वापसी  नहीं चाहता 
संसार सब झूट का पता हो जाता है 

मतलब आत्मानंद ( परमानंद ) की मिठास इतनी गहरी होती है   
(Gone there but not resided)

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