फत्तर की मूरत
हमें प्यार हुवा है भगवान से
जो सबके दिल में रहता है
आखो के द्वारमें खड़ा रहता है कभी
संभल नहीं पाते हमारे दिल को हम
चले जाएंगे कही,इस अँधेरी नगरिसे
जहा वो नहीं रहता, मंदिर में भी नहीं
करुणामय आखोमे जहा उसकी है बस्ती
पेड़ पौधे प्राणी जहा हसी ख़ुशी है
जहा सत्वमय चित्त आनंद से लपेटा है
जहा चित्त वृत्ति का निरोध हो चुका है
जहा स्मित हृदय से आकार चहरे पर है
जहा आनद लेहरे आप ही आप जान पड़ती है
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