सुन्नी आँखे
मुझे कोई आवाज ना दे
इस दुनिया में मै अकेला हूँ
उदासी आखो में डूब गया
तेरे सिवा मै अकेला हूँ
मुझे ये दर्द संभाले नहीं जाता
दिल रोता है गम सुनाया नहीं जाता
ऐसी क्या बात है उन आखोमे
दिल को चिर गायी बताया नहीं जाता
मुझे ओ दर्द देदो उदासी भरी
मै उसीका शागिर्द हूँ
चाहे तो मुफ्त में ख़ुशी लेलो
मै उसीका फरिस्ता हूँ
प्यार का बून्द भी मैने माँगा नहीं
उन आखो के सिवा कुछ चाहा भी नहीं
ये कैसी मजबूरी गम में बैठे हम
दिल में हसी भर दो, चाहते हम
हम है फ़क़ीर राह मिली चल दिए
कोई देखे या पूछे हम चल दिए
तुम ना करो बात हम चल दिए
इस मुसाफिर का ख्याल ना रखना
तुझ मे देखि मुहोबत सुनी सुनी
दिल मेरा प्यासा चाह जान पड़ी
न चाह मेरी कोई प्यास बुझा दे
सुनी मुहोबत किसी को प्यार दे दे
सुनी आखो में ज़रा ख़ुशी भर दे
नाराज दिल को ज़रा हसी भर दे
याद में छिपके ना रहना कभी
सपनो में भी तू न आना कभी
गम के आसु पीके प्यास बुझा लूंगा
मॉम के दिल को मै फत्तर बना लूंगा
अब ये दूनिया आझाद मेरे लिए
दिल रुक जाता कही मुसीबत मेरे लिए
सुख गए आखो के किनारे ना देखो तुम
उन्ही का दर्द ना सुन पाओगे तुम
मुझे ऐसे ही प्यासा रहने दो
गम की दुनिया में अकेले रहने दो
मै किसी जनम में तुझे मिलूंगा
तब मेरी याद संभाले रखना
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