प्यास





          प्यास 

नहीं भाता मुझे दुनिया में कोई
नहीं चाहता हूँ मै किसीसे कोई

मै ढूंढता हूँ मन की कैफियत
जिन आखोमे है उदासी की झलक

पूछा था उसने एक बार बचपन में
उदास हुई थी आखे ये समझ ना सके

ढूंडता हु वही नज़रे कही मिलजाए
पूछना है उनसे सदा हसी खुशी रहे 

नहीं बुझती प्यास इन आखो की
कहा ढुंडू उसे, नजर नहीं आती

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