बचपन

 
 
 

नादानी की शान है बचपन 
सुनहरी किनार है बचपन 
सब अपने होते है 
पराया कोई नहीं होता 

दिल हसता  मनख़ुशी में 
चूम लेते है हसी खुशीमे 
जब बड़े होजाते है सब 
आसुओ के मोती परोसते है 

कुछ अलग ही होता है बचपन  
जिसमे दोस्ती के साथ ममता होती है 
जिगर के साथ जान होती है 
ख़ुशी के साथ गम छिपे रहते है 

ओ बचन की यादे लाती है सूनापन 
गालो पर हसी, साथ आसु भी लाते 
गम में डुबोकर कभी रोना आ जाता  
यादे छोड़ जाता है कोई आसुओ के सहारे 

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