सुन्दर मूरत



           
            सुन्दर मूरत

 पहाड़ी गुफा की मूरत सुन्दर 
चोरी हुई थी न जाने आखिर 
मै भी कबसे हैरान रहा हूँ 
 कहा है सुंदरी कहासे लाउ 

तनिक देखि मैंने सुन्दर तसबीर 
मन में जो मनभावन आखिर 
यह हुवा है कैसे इस धरती पर 
खुषी न समाये दिल में पलभर 

सौ जन्मो की यादे पुरानी 
उभर आयी साश्रु नयनी 
यह कैसी है अनहोनी कहानी 
ना संभाले अब प्यार की जुदाई 

गम के सहारे उदास थी नज़रे 
कैसे सह पाती नयन बावरे 
गालो पर थी निराषा लिपटी 
ओठो पर थी प्यास कबकी 

जोगी बने है उसके परे हम 
गम और दर्द पिएंगे सब हम
चेहरे पर ख़ुशी अब लाओ 
मन के मन में ज़रा मुस्कराओ
 
 

 
 




Comments

Popular Posts