मोहे मन में भाये तू ही प्रीतम




यह कविता अशुध्द हिंदी ,प्रांतीय भाषा से 
सम्मिलित है. शब्दों का लय शास्त्रिय 
संगीत के करीब है। 

नींद नींद नहीं आवे मेनू 
सपन सपन में देखू तेनु 
नाही लागे जिया ओ मोरा 
तोहरी याद सताए मोहे भारी भारी 
         मोहे मन में भाये तू ही प्रीतम 

कबका तेनु हार मानु मै 
नाही लागे अब बिन तेरे मनवा 
सोच सोच के डूब गयी नैया 
मै तो तोहरे पास ही सजनवा 
         मोहे मन में भाये तू ही प्रीतम 

मोहरे मन में विराग बस गयो रे 
तोहरे टेड़े पन से जर्जर भयो रे 
तोहे नाही कदर सजनकी क्या करू 
किदर गयो मै तोरे भन भन से 
         मोहे मन में भाये तू ही प्रीतम 

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