प्यासा किनारा




प्यासा किनारा 

मै क्या जानू प्यासी तृष्णा 
राधे की थी प्यास कृष्णा 
अजहु ना उमजे नदिया प्यासी 
मन प्रवाह ही बहती वैसी 

याद ना आये मोहे उस पलकी 
ढूंढ ढूंढ रही आस मनकी 
तू क्या जाने मंकी हलचल 
विरह रह गया मन में निश्चल 

तरसाती मोहे मनस्वी तसबीर 
भूल जाउ कैसे रूह की लकीर 
अखियोमे देखा झील किनारा 
प्यासी किनार जैसा मै अकेला  
मनमंदिर की  तसबीर हिल गयी 
वैसी दिल में कबकी छप गयी

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