सागर जैसी आँखे






   सागर जैसी आँखे 

उड़ जाती निंदिया , सपने बिखर जाते है 
 तेरी सागर जैसी आखो में 

सास रुक जाती है , दिल तरस ता है 
 तेरी सागर जैसी आखो में 
 
मै ढूंढता हूँ मुझे, तेरे दिल के कोनो में 
 तेरी सागर जैसी आखो में 
 
मै डूब चुका हूँ , तैरना नहीं आता 
 तेरी सागर जैसी आखो में 
 
मेरे सारे आसु भीग गए , तेरी प्यास में 
 तेरी सागर जैसी आखो में 
 
मै न जानू कहा है रुकना, ढूंढता नजर किनारे 
 तेरी सागर जैसी आखो में 
 
मिला तुझे कभी, बेहोश पड़ा हुवा 
 तेरी सागर जैसी आखो में 



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