केशर दर्प


केशर दर्प

केशर केशर दर्प में तेरे 
सैर भैर मै मृग विहरे 
रंग भी तेरा  गोरा गोरा 
जैसे रंग बिखरा सुनहरा 

गालो की हसी सुनहरी 
उसके रंग की है  साड़ी 
मन भी कैसा है बावरा 
लगता मेरी प्रिया प्यारी 

नयन तेरे विलोल  विशाल 
शांति का सागर धुंद किनार
नासिका भी चाफ़े कलि  
सुगंध पुष्पसे भरा विहार 

ओठोंकी जोड़ी ,जामकी चिरी 
अमृत घट की पेहेरे दारी 
मिठास साड़ी दुनियाकी 
एक  ही जगह कैसे  भरी  

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