प्रजनन संस्था
एक्युप्रेषर के पाईंट के दबाव देने के चित्र
यह एक मानवी जीवन का महत्वपूर्ण भाग है। प्रजनन संस्था दूषित होने के कारण बहोतसी बीमारिया हाथ में हाथ मिलाकर चलती है। और पेशंट जब तक ना बताये तब तक बाहर से समज में नहीं आती।
प्रजनन संस्था का परिणाम पति पत्नी के सुख दुःख के ऊपर ज्यादा असर डालता है। वह दोनों एक दूसरे के दोष जान सकते है। दोनों ने प्रजनन सस्था निकोप रखना आवशक है। इससे उनके जीवनको यश दाई आकार मिल सकता है। जीवन का धेय्य प्राप्त करने में घर से ऊर्जा मिलती है। मनुष्य जीवन में शांति रहती है।
इस एक्यूप्रेशर का ज्ञान हायस्कूल के छात्राओ को देना जरुरी है। भारत जैसे बड़े देश में कितनी भी प्रगति हुयी तो भी माता पिता बच्ची की चिंता करते ही है , चाहे वह आमिर हो या गरीब , या कौनसेभी जात धर्म वाला हो। यह बहोत दुर्भाग्यकी बात है। यह ज्ञान उनके वैवाहिक जीवन में प्रसन्नता लाएगा।
निचे दिए हुए कुछ बीमारिया प्रजनन सम्बन्धी है।
हाथ दिखाई गई पाईंट
१) अपत्य प्राप्ति दोष
२) गर्भाशय दोष
३) मासिक धर्म की तकलीफ
४) मानसिक चिड़चिड़ापन
५) गुप्तांग प्रॉब्लम
६) प्रोस्ट्रेट ग्रंथि में सूजन
७) पतिपत्नी सहवास असमाधान
८) हार्निया
९) पूर्वस्खलन
१०) अनियमित मासिक धर्म
११) एड्स
१२) हिस्टीरिया
यहाँ पे सात नंबर पर दिए गए विषय में देखना जरुरी है। वही जीवन की सुख की कड़ी है।
साधारणत: प्रजनन संस्था में दोष रहा तो स्पस्ट रूपसे कोई वाच्यता नहीं करता और सगे सोबती यह नार्मल बात बताते है। लेकिन इसका असर सब महिलाओ को सहना पड़ता है। पुरे घर की जिमेदारी सम्भालो और सुख की मात्रा भी कम , यह सब चेहरे पर से ही माता पिता को सब पता चलता है। क्यों माता पिता चिंता ना करे? । बिना खर्च वाला, ५ मिनिट का, एक्यूप्रेशर खुद के हाथ से इलाज कर सकते है। पति का भी दोष हो तो हटा सकते हो।
साथ में दिखाए गए चित्र में पाइंट न. ११ से १५ तक प्रजनन संबधी है।
११- प्रोस्टेट ग्रंथि
१२ - जननेंद्रिय
१३ - योनि मार्ग
१४ - गर्भाशय
१५ - बीजांड कोष
इन पाइंट पर दबाइये। जो पाइंट ज्यादा दुखता हो उसे २ मिनिट तक दबाइए बाकी एक मिनिट दबाइये । इसके बाद उनके सहायकारी पाइंट को देड मिनिट दबाइए। सहायकारी पाइंट -८, २६, १६, १८,१०। दोषकारी अवस्था में पाइंट दबानेसे दर्द जादा हो सकता है। सहनशक्ति को अनुसार दबाव दे। दबाव देने की क्रिया पम्पिंग जैसा करना है। पम्पिंग में दबाव देना व छोड़ना फिर दबाव देना। यह क्रिया १५ दिन तक हर रोज ३ बार करनी है।
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