बेकरार




बेकरार 

उम्र का तगादा है प्यार मुनासिफ नहीं 
दिलने बेकरारी का ऐलान किया है 
और कुछ भड़काने वाले भी है दिल को 
मन ने भी बगावतकी ललकार दी है 

शर्म तो शर्माती दीवानगी पर 
बेशर्म कहकर टटोलती जानबूज कर 
कानमे कुछ इशारा देती है 
नजरो पर नजर रखने को कहती है 

क्या जमाना है अंदर के गनिमो का 
खुद को खुद ने सम्भालना मुस्किल है 
बाहर के तो हमला करते है प्यारसे 
जवानी को दीवानगी बनाकर छोड़ देते है

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