बंदिस्त अदा




बंदिस्त अदा

हुस्न की अदाएं हमें तडपाती आयी 
उन्हें हमारी ज़रा भी कदर नहीं 
      ओठो ने चिमट ली अमृत घटा 
       गालोने गुल से सवरली बंदिस्त अदा 
जुल्फों की घटाओ चाँद छिपालो ज़रा 
जुल्म ए मोहोब्बत सताती है मुझे 
        नज़रे तीर आजमाया ना करो 
        दिल तो बेकरारी पर उत्तर आया है 
कान की बाला चूमती गालो को बार बार 
क्या इतने बेनसीब हम,थोड़ा हक़ हमें दे
दे
      ऐसे में आप कहे तो नजरे बुरी मेरी 
      ये दीवाना पगला हूँ इस दुनिया के लिए

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