टूटी शहनाई
टूटी शहनाई
कभी तनहाई में उसकी याद आएगी
गूंजती रहेगी, उसकी आवाज नहीं जायेगी
जैसे वही कानो में गुनगुना रही हो
चुपकेसे आके सिनेसे लिपट रही हो
तब तो तुझे रोना भी मुस्किल होगा
हमारा समझाना भी दर्द भरा होगा
कहातक पहाडोको आवाज देते रहोगे
ओ भी पुकारेंगे तुम्हारे साथ गूंज गुनगुनेंगे
किस कदर ठुकराया जिन्दगीने
अब सासे भी लेना हुवा मुस्किल
हर पल सजा है यादोमे
कैसे दिन रात गुजारे पलकोमे
ये मेरे यार अब जीना मुस्किल
यादो को प्यारसे और जखड़ ले
ऐसे बहोत दीवाने , जोगी बने है
चल अब तू हमारे साथ होले
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