यादो ने तुम्हे बुलाया


 

यादो ने तुम्हे बुलाया


तेरी मुस्कराहट की अदा पे, शर्माहट की किनार लगाईं थी  
चुनरी से नज़रे तीर चलाके, दिल घायल कर देती थी 

        अब गम सहने के काबिल कहा, गम ने जो रुलाया 
        याद आती थी कसम से, मेरी यादो ने तुम्हे बुलाया 

अब तो प्यार के किनारे भी हमें पराया समझ ते है 
हम पर नाराज हो तो, आसुभि तुमसे नजरे छिपा  लेंगे

      दिल तड़पानेकी आदत पड गयी है हमें 
      जख्म ना करदे दिलबर डर लगता हमें 

उसके मनकी  की हर लकीर हमारे दिल से गुजर जाती है 
उसके दिल की हर तड़प सिनेके गलियो में घूमती रहती है 

   उसे भी मालुम है शायद हमारी काबिलियत कहा 
   हमें दिल में ही तरसाने का वादा किया होगा  

सपनेमे भी हम उसे सीने  नहीं लगाते 
डर लगता है हमें शायद बेहोश  ना जाए 

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