बिखरी पलकें
तुझे देखे बगैर जी नहीं भरता
क्या करू कुछ समझ नहीं आता
नजरो में प्यास छूपि है आस की
अदाओ की नजाकत ने लूट लिया
अब जीना मुस्किल तेरे बगैर
जोगी बनके जिऊंगा तेरी यादोमे
सिनेपे गर्म सास सताती है
तेरी हर सास मुझे अब रुलाएगी
रातदिन भी मुझे चैन नहीं
लब्ज तेरे सदा चूमते है मुझको
तेरी तसबीर दिल बैठी है
आँख के सामने सदा रहती हो
शर्मीली तेरे ओठो पर
कितने सपने सजाये थे
आखो की मदभरी नज़ारे
सारे गम भुला देती थी
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